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yashoddhara bhatnagar

यशोधरा की लघुकथाएं

मरहम पूरी कोठी दुल्हन की तरह सजी हुई है। सुनहरी रोशनी से नहाई कोठी ! हँसी और खिलखिलाहटों को कोठी की दीवारें बाँध सकने में असमर्थता का अनुभव कर रहीं हैं। हँसी के फव्वारे…
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